अन्नकूट की सब्जी बनाने की पारंपरिक विधि, स्वाद ऐसा कि भूल नहीं पाएंगे
अन्नकूट, जिसे पारंपरिक रूप से गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पर्व के अवसर पर परोसा जाता है, न केवल भोग का हिस्सा है बल्कि समृद्धि, कृतज्ञता और प्राकृतिक दीर्घायु का प्रतीक भी है। कई वैष्णव परंपराओं में अन्नकूट को पृथ्वी और गोवर्धन को अर्पित करने का श्रद्धावान तरीका माना जाता है; अन्य स्मार्त और क्षेत्रीय रीति-रिवाजों में भी यह विभिन्न तिथियों और स्थानीय अनुष्ठानों के साथ जुड़ा हुआ मिलता है। इस लेख में मैं एक ऐसी पारंपरिक सब्जी की विधि दे रहा/रही हूँ जिसे अन्नकूट की थाली में मुख्य स्थान मिलता है — मसालेदार, मलाईदार और सूखा-गीला संतुलन बनाए रखने वाली सब्जी, जिसका स्वाद आगे भी याद रहेगा। नीचे दी गई विधि घर की रसोई के साधन ध्यान में रखकर तैयार की गई है: साधारण मसाले, दाल-तरकारी का संयोजन और पारंपरिक पकाने की तकनीकें, ताकि त्योहार के दिन भोग और ग्रहण दोनों में यह समान रूप से प्रिय रहे।
संस्कृति और सन्दर्भ (संक्षेप में)
अन्नकूट का अर्थ होता है “अनाजों का ढेर” — राज्यों और ग्रामीण परंपराओं में यह अनाज, दालें, सब्जियाँ और मीठे पकवानों का समूह होता है। वैष्णव परम्परा में गोवर्धन पूजा आमतौर पर कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा (Kartika Pratipada) के दिन मनाई जाती है; स्थानीय कैलेंडर और पंचांग के अनुसार तिथि में सूक्ष्म अंतर हो सकता है। कुछ स्थानों पर अन्नकूट में विशेष स्थान दही-घी और नई फसल की सब्जियों को दिया जाता है; शाकाहारी और लैक्टो-वेज विकल्प दोनों प्रचलित हैं।
इस पारंपरिक अन्नकूट सब्जी के लिए सामग्री (4–6 लोग)
- सरसों या घी — 3 बड़े चम्मच (त्योहार में घी प्राथमिकता दें)
- जीरा — 1 छोटा चम्मच
- हींग — चुटकी भर
- काली मिर्च (पिसी) — 1/2 छोटा चम्मच
- हल्दी पाउडर — 1/2 छोटा चम्मच
- धनिया पाउडर — 1½ छोटी चम्मच
- लाल मिर्च पाउडर — 1/2 छोटी चम्मच (स्वादानुसार कम-ज्यादा करें)
- अदरक-लहसुन पेस्ट — 1 बड़ा चम्मच (वैकल्पिक)
- प्याज बारीक कटा हुआ — 1 बड़ा
- टमाटर पके हुए, प्यूरी या बारीक कटे — 2 मध्यम
- आलू के वर्ग (उबले हुए) — 2 मध्यम
- मटर (ताजा/फ्रोजन) — 1 कप
- फलियां—हरी धनिया, शिमला मिर्च जैसी—1 कप (वैकल्पिक)
- काली चना या सेविया वाली दाल (उबली)—1/2 कप (ऐसा करने से अन्नकूट का मेल बेहतर रहता है)
- दही (फैंटा हुआ) — 1/2 कप
- क्रीम या खोआ — 2 बड़े चम्मच (त्योहार के अवसर पर)
- नमक — स्वादानुसार
- ताजा धनिया कटा हुआ — 2 बड़े चम्मच से सजाने के लिए
- नींबू का रस — 1 छोटा चम्मच (स्वाद के लिए)
तैयारी के कदम (पारंपरिक क्रम)
- दाल और आलू पहले से उबालें: अगर सूखी दालें (काली चना, मूंग इत्यादि) प्रयोग कर रहे हैं तो रात भर भिगोकर प्रेशर कुकर में 2–3 सीटी लगाकर नरम कर लें। आलू उबला हुआ और आकार में कटकर रखें। यह कदम त्योहार के व्यस्त समय में तेज सेवा सुनिश्चित करता है।
- तड़का तैयार करें: बड़े भगोने या कड़ाही में घी गरम करें। जीरा और हींग डालें जब जीरा चटकने लगे तो अदरक-लहसुन पेस्ट (यदि उपयोग कर रहे हों) और बारीक कटा प्याज डालकर सुनहरा भूरा होने तक भूनें।
- टमाटर और मसाले: टमाटर प्यूरी डालें और महीन होने तक पकाएँ। इसमें हल्दी, धनिया पाउडर, लाल मिर्च और काली मिर्च डालकर तब तक भूनें जब तक मसाले से कच्ची खटास चली न जाए और तेल किनारे छोड़ने लगे।
- सब्जियाँ जोड़ें: मटर, शिमला मिर्च और किसी भी मौसमी सब्जी (गाजर, शलजम, लौकी) डालें। मध्यम आंच पर 5–7 मिनट पकाएं ताकि सब्जियों का कच्चापन दूर हो लेकिन रंग-रूप बना रहे।
- दाल और आलू मिलाएँ: पहले से उबली हुई दाल और उबले आलू डालें। आवश्यकता अनुसार 1/2 कप गर्म पानी डालकर 5 मिनट धीमी आंच पर पकाएँ ताकि सब्जियों का स्टॉक थोड़ा गाँठदार बने — अन्नकूट की परंपरा में बहुत पतला सूप नहीं चाहिए, न बिल्कुल सूखा मसाला।
- दही और मलाई का समावेश: दही को फेंटा हुआ और क्रीम/खोआ को कमरे के तापमान पर रखकर थोड़ा-थोड़ा करके सब्जी में मिलाएँ, साथ ही लगातार हिलाते रहें ताकि दही फटे नहीं। यह कदम सब्जी को मलाईदार बना देता है और स्वाद में मिठास व गहराई लाता है।
- अंतिम समायोजन: नमक मिलायें, नींबू का रस जोड़ें और 1–2 मिनट के लिए धीमी आंच पर और पकाएँ। ऊपर से ताजा धनिया छिड़कें।
पकाने के व्यावहारिक सुझाव (परंपरागत अनुभव के आधार पर)
- त्योहार में घी नमक की तरह महत्त्व रखता है — स्वाद और सुगंध के लिए कम से कम आधा चम्मच अतिरिक्त घी अंत में डालें।
- दही कभी सीधे उच्च आंच पर न डालें; इसे कम आंच पर मिश्रित करें वरना फटना संभव है।
- अन्नकूट की थाली में कई व्यंजन होते हैं; इसलिए यह सब्जी न तो बहुत तीखी रखें और न ही भारी — संतुलन महत्वपूर्ण है।
- यदि आप शाक्त या स्मार्त रीति के हिसाब से अधिक सरल करना चाहें तो क्रीम/खोआ छोड़ कर केवल दही और घी से भी अच्छा स्वाद बना लेते हैं।
क्षेत्रीय व वैचारिक विविधताएँ
भारत के विभिन्न हिस्सों में अन्नकूट की तैयारी में भिन्नता मिलती है। उत्तर में मूंग दाल और घी से हल्का मीठा स्वाद जोड़ा जाता है; गुजरात में थोड़ी मिठास और सूखे मेवों का प्रयोग देखा जाता है; बंगाल में नारियल और हल्का पिठ्ठा (ground coconut) भी इस्तेमाल होता है। वैष्णव परम्पराओं में अधिकतर शाकाहारी-लैक्टो-वेज विधियाँ प्रचलित हैं और कभी-कभी स्थानीय देवस्थान के नियमों के अनुसार कुछ सामग्री पर प्रतिबंध हो सकता है — जैसे कुछ श्रद्धालु रात में बना हुआ अन्न अर्पित नहीं करते।
परोसना और संग्रहन
अन्नकूट में परोसी जाने वाली सब्जी को गरम परोसें, ऊपर से एक बूंद घी और ताजा धनिया डालें। शेष सब्जी फ्रिज में 2–3 दिन तक सुरक्षित रहती है; फिर गरम करते समय हल्का पानी और अतिरिक्त घी डालें ताकि बनावट पुनः मुलायम हो जाए।
निष्कर्ष
यह पारंपरिक अन्नकूट सब्जी सरल सामग्री के साथ त्योहार की गरिमा और घर की गर्माहट दोनों लाती है। विधि में छोटे-छोटे परिवर्तन परंपरा, उपल्ब्धता और निजी स्वाद के अनुसार स्वीकार्य हैं — जैसे किसी घर में दाल अधिक, किसी में मलाई अधिक। परंपरा के अनुरूप श्रद्धा और साफ़-सफाई के साथ पकाया गया अन्नकूट हर थाली में स्मरणीय स्वाद छोड़ता है।