आपकी राशि के अनुसार कौन सा दीपक जलाना होगा शुभ? ज्योतिषी से जानें
दीपक जलाने की परंपरा हिंदू संस्कारों में सिर्फ प्रकाश फैलाने के लिए नहीं, बल्कि ग्रहों, देवताओं और मनोभावों के अनुरूप ऊर्जा समायोजित करने के लिए भी मानी जाती रही है। कई ज्योतिषियों और आगम ग्रंथों में दीयक के प्रकार, ईंधन, दिशा और वक्त का संकेत मिलता है—पर व्याख्याएँ स्कूल-वार भिन्न होती हैं। नीचे दी गई सलाहें पारंपरिक ग्रह-शासित राशियों (ज्योतिषीय नियमों के अनुसार) पर आधारित सामान्य सुझाव हैं: कौन-सा दीपक, किस तेल/घृत से, कितनी लौ और किस दिशा में जलाना लाभदायक माना जाता है। यह मार्गदर्शन समसामयिक जरूरतों और सुरक्षा का ध्यान रखते हुए दिया गया है; व्यक्तिगत जन्मकुंडली (लग्न/चंद्र रासी) की विशिष्टता के लिए किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श ज़रूरी है। जहाँ संभव हुआ, मैंने आगम/नैतिक परंपराओं और वैदिक-वैज्ञानिक कारणों का तात्पर्य भी जोड़ने की कोशिश की है ताकि अभ्यास का अर्थ स्पष्ट रहे।
सामान्य निर्देश (सब राशियों के लिए)
- घृत (घी) पारंपरिक रूप से पूजागृह में श्रेष्ठ माना जाता है, पर अगर वायु और स्वास्थ्य की वजह से न हो तो तिल का तेल (sesame) धन-युक्त और ग्रहसमेक हेतु उपयोगी रहता है।
- दीपक की दिशा: सूर्य/गुरु प्रभावी राशियों के लिए पूर्व, चंद्र और बुध के लिए उत्तर-पूर्व, मंगल/शनि प्रभावित राशियों के लिए दक्षिण या दक्षिण-पूर्व अक्सर सुझाए जाते हैं—पर स्थानीय वास्तुदोष और मंदिर की व्यवस्था देखें।
- समय: रविवार/गुरुवार/मंगल/शनिवार आदि ग्रह-विशिष्ट दिनों पर संध्याकाल (संध्या) या प्रवाहमयी मुहूर्त (ब्रह्म मुहूर्त, सूर्यादय) पर दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
- स्थापना: इरादे (संकल्प) स्पष्ट रखें, देवता/गृह पूजा के अनुसार छोटी मंत्र जाप या नमन जोड़ें।
मेष (Aries) — मंगल के प्रभाव
- दीपक: पीतल/कॉपर का छोटा दीपक या मिट्टी का लाल रंगीन दीया
- ईंधन: तिल का तेल या घृत
- लौ: एक लौ; मंगलवार संध्या पर जलाना श्रेष्ठ
- दिशा: दक्षिण-पूर्व की ओर मुख करके रखें
- लाभ: साहस, उत्साह और कार्य-शक्ति में वृद्धि।
वृषभ (Taurus) — शुक्र के प्रभाव
- दीपक: चांदी-वर्णित या पीतल का सुंदर दीपक
- ईंधन: घृत या सुगन्धित तेल (संदल) — सौंदर्य व सुख के लिए
- लौ: एक या तीन लौ; शुक्रवार संध्या विशेष
- दिशा: पश्चिम या घर के पूजा कक्ष के अनुरूप
- लाभ: सौন্দর्य, संबंध और ऐश्वर्य में संतुलन।
मिथुन (Gemini) — बुध के प्रभाव
- दीपक: पीतल/ब्रास, पतला आकार
- ईंधन: तिल या हल्का तेल; तुलसी पत्ता साथ रखें
- लौ: दो छोटी लौ (संचार और विचार के लिए)—बुधवार संध्या बाध्यतः
- दिशा: उत्तर-पूर्व की ओर, मनोयोग व संवाद में सुधार।
कर्क (Cancer) — चन्द्र के प्रभाव
- दीपक: सफेद मिट्टी का दीया या चांदी-स्पर्श वाला दीपक
- ईंधन: घृत श्रेष्ठ; शीतल प्रकाश के लिए
- लौ: एक मौन और धीमी लौ; सोमवार संध्या पर
- दिशा: उत्तर की ओर, भावनात्मक शांति हेतु
सिंह (Leo) — सूर्य के प्रभाव
- दीपक: पीतल/कांस या सुनहरे रंग का दीपक
- ईंधन: घृत; प्रातः या सूर्यादय पर जलाना उत्तम
- लौ: एक तीव्र प्रकाश वाली लौ; रविवार सुबह विशेष
- दिशा: पूर्व की ओर, आत्मविश्वास और प्रतिष्ठा में सहायक
कन्या (Virgo) — बुध के प्रभाव
- दीपक: ब्रास/कांस्य; साफ-सुथरा और साधारण रूप
- ईंधन: हल्का तेल या घृत; बुधवार पर संध्या
- लौ: एक स्थिर लौ; व्यवस्थित पूजा से फायदे मिलते हैं
- दिशा: उत्तर-पूर्व/पूर्व — स्पष्टता व विवेक के लिए
तुला (Libra) — शुक्र के प्रभाव
- दीपक: सुंदर, संतुलित डिज़ाइन—पीतल या चाँदी का मिश्रित
- ईंधन: घृत/सुगन्धित तेल; शुक्रवार संध्या लाभदायक
- लौ: दो या तीन लौ—सन्तुलन और सम्बन्धों हेतु
- दिशा: पश्चिम या उत्तर-पश्चिम
वृश्चिक (Scorpio) — मंगल के प्रभाव
- दीपक: भारी ब्रास/कांस्य या मिट्टी का गहरा रंग
- ईंधन: तिल का तेल; मंगलवार या अमावस्या पर संवेदनशील ध्यान
- लौ: एक तेज़ पर केंद्रित लौ; दक्षिण-पूर्व की ओर
- लाभ: रूपांतरण, दृढ़ता और गहन मनोवृति में मदद।
धनु (Sagittarius) — गुरु (बृहस्पति) के प्रभाव
- दीपक: पीतल/कांस्य — सुनहरी छटा
- ईंधन: घृत; गुरुवार सुबह या संध्या पर जलाना शुभ
- लौ: तीन या सात लौ—गुरु की वृद्धि हेतु पारंपरिक संख्या 7 उपयोगी है
- दिशा: पूर्व/उत्तरी-पूर्व; अध्ययन और आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए
मकर (Capricorn) — शनि के प्रभाव
- दीपक: लोहे जैसा सादगीयुक्त या ब्रास, भारी-पुख्ता
- ईंधन: तिल का तेल या सरसों—शनिवार विशेष
- लौ: एक ठहराव वाली धीमी लौ; शनिवार संध्या
- दिशा: उत्तर-पश्चिम या पश्चिम; अनुशासन और करियर में लाभ।
कुंभ (Aquarius) — शनि के प्रभाव
- दीपक: सादे ब्रास/कांस्य या चाँदी-स्पर्श
- ईंधन: तिल का तेल; शनिवार पर ध्यानपूर्वक प्रयोग
- लौ: एक स्थिर लौ; उत्तर या उत्तर-पश्चिम
- लाभ: सामुदायिक भाव, योजना और स्थिरता को बढ़ावा।
मीन (Pisces) — गुरु (बृहस्पति) के प्रभाव
- दीपक: ब्रास/कांस — हल्का नीला या सफेद परिधान साथ रखें
- ईंधन: घृत; गुरुवार संध्या पर जलाना शुभ
- लौ: तीन लौ या एक बड़ा दीप; पूर्व की ओर
- लाभ: सहानुभूति, आध्यात्मिक बुद्धि और संरक्षण।
नोट और सावधानियाँ
- यह मार्गदर्शन सामान्य है; व्यक्तिगत कुंडली में ग्रह-स्थिति, दशा व स्थानान्तर के अनुसार सलाह बदलेगी—विशेषतः लग्न और चंद्र की स्थिति के लिए ज्योतिषी से परामर्श आवश्यक।
- सुरक्षा: कभी अनदेखी में दिया न जलाएँ; बच्चों और पालतू जानवरों से दूर रखें।
- पर्यावरण: यदि खुली जगह में कर रहे हैं तो जैविक तेल/घृत व कम धुआँ उत्पन्न करने वाले विकल्प चुनें।
अंततः दीपक जलाना मन का संकेत है—किसी भी परंपरा में गंभीर न होते हुए, इरादा शुद्ध और निरंतरता बनी रहे तो लाभदायक माना जाता है। स्थानीय पुजारी या पारंपरिक ज्योतिष से मिलकर आप अपनी जन्मकुंडली के अनुसार सबसे उपयुक्त अभ्यास तय कर सकते हैं।