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धनतेरस पर कुबेर देव की पूजा कैसे करें? जानें सही विधि और मंत्र

धनतेरस पर कुबेर देव की पूजा कैसे करें? जानें सही विधि और मंत्र

धनतेरस (धनत्रयोदशी) हिंदू साम्प्रदायिक जीवन में धन, समृद्धि और घरेलू सुरक्षा के संदर्भ में महत्वपूर्ण पर्व है। पारंपरिक रूप से यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को मनाया जाता है और प्रायः दीपावली से ठीक पहले आता है। कई परिवारों में इस दिन कुबेर देव और देवी लक्ष्मी की साथ-साथ पूजा की जाती है ताकि आर्थिक समृद्धि और घरेलू सुख-संपदा बनी रहे। विभिन्न शैलों और लोकपरंपराओं में विधि, मन्त्र और भेंट के तरीके भिन्न हो सकते हैं; कुछ घरों में केवल मुद्रा/सिक्कों का पूजन होता है तो कुछ में हवन और विस्तृत पूजा-पद्धति अपनाई जाती है। नीचे दी गई विधि सामान्य गृह-पूजा के अनुरूप है—यह पारंपरिक आधार पर तैयार है, परन्तु अपने कुलाचार या स्थानीय पंडित की सलाह के अनुसार समायोजन करना ठीक रहता है।

पूजा का समय और तैयारी

  • धनतेरस का तिथिक्रम पंडज (पंचांग) के अनुसार निर्धारित होता है; यदि त्रयोदशी तिथि सूर्योदय के समय बनी हुई हो तो वही श्रेष्ठ माना जाता है।
  • पूजा से पूर्व शरीर, स्थान और सामग्री स्वच्छ रखें। घर की मुख्य पूजा-स्थान को साफ कर दीपक और रंगोली रखी जा सकती है।
  • कुछ परिवार व्रत रखते हैं या हल्का उपवास रखते हैं; यह व्यक्तिगत परंपरा पर निर्भर है।

आवश्यक सामग्री (सामान्य सूची)

  • कुबेर या लक्ष्मी की मूर्ति/चित्र या कुबेर यंत्र (यदि उपलब्ध हो)
  • सिक्के, नग, सोने की छोटी वस्तु या अक्षत (चावल), धान/अनाज
  • दीप/मिट्टी के दीपक, नैवेद्य (मिठाई, फल), फूल, अगरबत्ती
  • कुमकुम, हल्दी, चावल, नैवेद्य के लिए जल और प्रसाद बर्तन
  • घंटी/घंटा, माला (108 या 11 माला), अगर हवन करना हो तो हवन सामग्री (गुढ़, तिल, सामाग्री)

पारंपरिक पूजा-विधि (कदम-दर-कदम)

  • संकल्प: हृदय में उद्देश्य रखकर संकल्प लें—उदाहरण: ‘‘मैं कुबेर देव का पूजन कर समृद्धि, धर्म और गृह-सुरक्षा के लिए प्राथना करता/करती हूँ।’’
  • प्रातः शुद्धि: तेज पानी से हाथ-पैर धोकर स्नान करें, और पूजा स्थल पर हल्दी-कुमकुम से स्वास्तिक/त्रिकोन चिन्ह बना सकते हैं।
  • प्रतिष्ठापन: कुबेर की मूर्ति/चित्र को उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके स्थापित करें; कुछ परंपराओं में उसे धनदायिनी देवी लक्ष्मी के साथ स्थान दिया जाता है।
  • आवाहन: ‘‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं कुबेराय नमः’’ इत्यादि जैसे सरल आवाहन मंत्रों से देवता का निमंत्रण करें (नीचे मंतर भाग देखें)।
  • अर्घ्य-समर्पण: जल, पुष्प, अक्षत, फल, मिठाई और सिक्के अर्पित करें। दीप प्रज्वलित करें और कपूर/धूप से आरती दें।
  • जप और ध्यान: मन से कुबेर को समर्पित मंत्रों का जप करें—108 जप आदरणीय समझा जाता है, पर 11 या 21 भी सामान्य हैं।
  • शेषार्थ: पूजन के अंत में गृहस्थ धर्म के अनुसार प्रसाद वितरित करें और विशेषतः गरीबों/जरूरतमंदों को दान दें।

मंत्र और जप

  • सामान्य आवाहन/नमस्कार मंत्र: “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं कुबेराय नमः” — यह सरल और व्यापक रूप से प्रयुक्त है।
  • हवन हेतु परम्परागत कुबेर मंत्र: “ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्याधिपतये धन-धान्य-सम्प्रसिद्धिं मे दहे दापय स्वाहा” — यह हवन स्तोत्रों/लोकपद्धतियों में प्रयुक्त होता है।
  • जप की संख्या: 108 जप आदर्श है; समय-या सुविधा के अनुसार 11/21 भी स्वीकार्य हैं। माला का प्रयोग करें और माला स्पर्श के साथ मन से अर्थ रखें।
  • लक्ष्मी-गणेश का समावेश: कई घरों में कुबेर पूजा के साथ देवी लक्ष्मी (ॐ महालक्ष्म्यै नमः / ॐ श्रीं लक्ष्म्यै नमः) और गणेश (ॐ गं गणपतये नमः) का संक्षिप्त आवाहन भी किया जाता है।

हवन/अर्पण और दिशा

  • कुबेर को उत्तर दिशा का अधिष्ठाता माना जाता है; इसलिए पूजन की सामग्री उत्तर की ओर मुख करने या उत्तर-पूर्व कोण में रखना शुभ समझा जाता है।
  • यदि हवन किया जा रहा हो तो कुबेर हवन में उपर्युक्त कुबेर मंत्र का समावेश करें; लौकिक सुरक्षा और समृद्धि के प्रतीक रूप में तिल, गुड़ और विशेष स्तोत्रों का समर्पण किया जाता है।
  • दीप जलाना और घर में उजाला रखना परंपरा का महत्वपूर्ण भाग है—यह अज्ञानता/असुरक्षा के अंधकार को दूर करने का प्रतीक है।

दान, निष्ठा और नैतिक पक्ष

  • धनतेरस के दिन दान को अत्यन्त पुण्यदायी माना जाता है—भोजन, अनाज, वस्त्र या धन का दान करें। कई शास्त्रीय मतों में कहा गया है कि संपत्ति का सही प्रयोग और दान ही स्थायी समृद्धि का मार्ग है।
  • समृद्धि के लिए केवल पूजा-कर्म भर पर्याप्त नहीं; आर्थिक व्यवहार, कर्मठता और सदाचरण अनिवार्य हैं। यह बात स्मार्त परंपराओं और व्यावहारिक गृहधर्म दोनों में दोहराई जाती है।

ध्यान देने योग्य बातें

  • विविध परंपराओं में मंत्र-रूप, हवन सामग्री और दिशा-निर्देशन भिन्न हो सकते हैं; अपने कुलाचार या स्थानीय पुजारी की सलाह उपयोगी होगी।
  • कुबेर या लक्ष्मी की पूजा को कहे हुए जादुई वादों से न जोड़ें; पारंपरिक सूत्रों में दी गई अर्थपूर्ण निष्ठा और नैतिकता पर बल दिया गया है।
  • यदि घर में ज्वलनशील वस्तुएँ हैं तो दीप/कपूर का प्रयोग सुरक्षित रूप से करें; सामाजिक और पारिवारिक सुरक्षा को प्राथमिकता दें।

अन्त में, धनतेरस पर कुबेर देव की पूजा एक सामूहिक और व्यक्तिगत साधना दोनों बनी रह सकती है—यह धन-संपदा के साथ-साथ गृह-नैतिकता, दान और आध्यात्मिक अनुशासन का पर्व भी है। विभिन्न शैलों और लोकाचारों में विभिन्‍न तरीके मिलेंगे; इसलिए परंपरा, साधना की निष्ठा और विवेक के साथ पूजा को अपनाना सर्वोत्तम माना जाता है।

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About G S Sachin

I am a passionate writer and researcher exploring the rich heritage of India’s festivals, temples, and spiritual traditions. Through my words, I strive to simplify complex rituals, uncover hidden meanings, and share timeless wisdom in a way that inspires curiosity and devotion. My writings blend storytelling with spirituality, helping readers connect with Hindu beliefs, yoga practices, and the cultural roots that continue to guide our lives today. When I’m not writing, I spend time visiting temples, reading scriptures, and engaging in conversations that deepen my understanding of India’s spiritual legacy. My goal is to make every article on Padmabuja.com a journey of discovery for the mind and soul.

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