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नवरात्रि में उपवास रखने वाले क्या-क्या खा सकते हैं?

नवरात्रि में उपवास रखने वाले क्या-क्या खा सकते हैं?

नवरात्रि का उपवास हिन्दू परंपरा में आत्म-नियमन, समर्पण और देवी-भक्ति का समय माना जाता है। यह पर्व नौ दिन चलता है — प्रातिपदा (Pratipada) से लेकर नवमी (Navami) तक — और मुख्य रूप से शरद (अश्विन, सितम्बर-अक्टूबर) और चैत्र (मार्च-अप्रैल) नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। उपवास के नियम परंपरा, क्षेत्र, और व्यक्तिगत श्रद्धा के अनुसार बहुत भिन्न होते हैं: किसी घर में सख्त निर्जल व्रत होते हैं, तो कहीं हल्का भोजन या दिन में एक बार भोजन का चलन है। नीचे दिए गए सुझाव पारंपरिक स्रोतों तथा वर्तमान व्यावहारिक अनुभवों का समिश्रण हैं — इन्हें अपने परिवार की परंपरा, स्वास्थ्य स्थिति और पुजारी/गुरु की सलाह के अनुरूप अपनाएँ। मैं विभिन्न शैव, वैष्णव, शाक्त और स्मार्त व्यवहारों की व्याख्या करते हुए आमतौर पर स्वीकार्य विकल्प, पोषण पर ध्यान, और कोई–कोई प्रतिबंध स्पष्ट कर रहा/रही हूँ।

आमतौर पर वर्जित या सीमित माने जाने वाले पदार्थ

  • प्याज और लहसुन: अधिकांश शाक्त तथा कई वैदिक-आधारित परिवारों में इन्हें तामसिक माना जाता है और नवरात्रि में वर्जित रखा जाता है।
  • धान्य/सामान्य अनाज और दालें: पारंपरिक रूप से चावल, गेहूं, और सामान्य दालें (मसूर, मूंग, अरहर) कई उपवास परिहानों में अर्पित नहीं की जातीं।
  • अल्कोहल और मांसाहार: अधिकांश विद्वानों और परंपराओं में उपवास के दौरान मांस व मद्य का परित्याग आवश्यक माना जाता है।
  • किसी-किसी समुदाय में दही/खट्टा पदार्थ या खमीरयुक्त चीजें सीमित रहती हैं — यह परंपरा पर निर्भर है।

नवरात्रि में आमतौर पर अनुमति प्राप्त और व्यवहार्य विकल्प

  • फल और सूखे मेवे: केला, सेब, पपीता, अनार; बादाम, अखरोट, किशमिश — ऊर्जा और सूक्ष्मपोषक देते हैं।
  • दुग्ध एवं दुग्धजन्य: शुद्ध दूध, छाछ (जो कुछ परंपराओं में स्वीकार्य है), पनीर — प्रोटीन के लिए उपयोगी।
  • सिंघाड़े (Water chestnut) का आटा: पारंपरिक तौर पर पूड़ी, पराठा और पकवान बनने में प्रयुक्त।
  • कुट्टू (buckwheat/कुट्टू का आटा): आलू या बिना अनाज के पराठे के रूप में; ग्लूटेन-रहित विकल्प।
  • राजगीरा (amaranth/राजगिरा): चीला, खिचड़ी या laddoo के रूप में — प्रोटीन-घनत्व अच्छा रहता है।
  • साबूदाना (tapioca pearls): खिचड़ी, वड़ा — ऊर्जा देने वाला और लोकप्रिय विकल्प।
  • आलू और अन्य जड़ वाली सब्जियाँ: आलू, शकरकंद, चुकंदर — ज्यादातर घरों में व्रत-भोजन में शामिल रहते हैं।
  • सेंधा नमक (rock salt): परंपरागत रूप से नमक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है; कुछ जगह सामान्य नमक भी अनुमत होता है।
  • मूंगफली (peanuts): कई स्थानों पर प्रोटीन/तेल के स्रोत के रूप में स्वीकार्य; परम्परा अनुसार अलग-अलग माना जाता है।

धार्मिक और परंपरागत विविधता — क्या क्यों बदलता है

नवरात्रि के नियम पूरे हिन्दू धर्म में एकरूप नहीं हैं। उदाहरण के लिए, कुछ शाक्त परिवारों में अत्यंत कठोर निर्जल व्रत होते हैं और केवल फल-सुपारी, बेलपत्र, जल आदि ग्रहण किए जाते हैं; वहीं स्मार्त या वैष्णव घरों में हल्का भोज जैसे कुट्टू की रोटी, आलू की सब्जी, दूध स्वीकार्य होते हैं। गीता के भाष्य-परंपराओं में संयम और सदाचार पर जोर मिलता है, पर खान-पान के विशिष्ट नियम स्थानीय रीति-रिवाज और आचार्यों की परिभाषा पर निर्भर रहते हैं। इसलिए परंपरा का पालन करते समय परिवार या मठ/मंदिर की निर्देशिका का आदर करना चाहिए।

एक दिन के उदाहरण मेनू (परंपरागत और पौष्टिक)

  • सुबह/नाश्ता: फल-आधारित प्लेट (केला/सेब) + 1 गिलास दूध या पनीर के टुकड़े।
  • दोपहर: साबूदाना खिचड़ी (अदरक, हरी मिर्च, मूंगफली, सेंधा नमक), साथ में पुदीना-धनिया और दही (यदि आपकी परंपरा में स्वीकार्य हो)।
  • शाम का नाश्ता: भुने हुए सूखे मेवे या राजगीरा के लड्डू/चिल्ला।
  • रात्रि/प्रसाद: कुट्टू की रोटी/सिंघाड़े की पूड़ी + आलू-मेथी/शकरकंद की सब्जी (बिना प्याज-लहसुन) + फल/ठंडा दूध।

पोषण और स्वास्थ्य संबंधी सुझाव

  • प्रोटीन की पूर्ति के लिए दूध, पनीर, मूंगफली, राजगीरा और बादाम उपयोगी हैं।
  • डायबिटीज, उच्च रक्तचाप या गर्भावस्था जैसी स्थितियों में उपवास की योजना डॉक्टर से अवश्य परामर्श करके बनाएं।
  • निर्जलीकरण से बचने के लिए पर्याप्त पानी, नारियल पानी या शक्कर-नमक संतुलित पेय लें; अत्यधिक मीठे स्नैक्स से बचें।
  • यदि आप दवा ले रहे हैं तो भोजन-समय व दवा के तालमेल पर चिकित्सक से चर्चा करें — कुछ दवाओं के साथ उपवास जोखिमपूर्ण हो सकता है।

व्यावहारिक सुझाव और छोटे नियम

  • तैयारी: साबूदाना/कुट्टू/सिंघाड़े का आटा पहले से भिजोकर रखें—पचाने में आसान होता है।
  • स्वाद: सेंधा नमक और हरी मिर्च/जीरा जैसे हल्के मसाले स्वाद बढ़ाते हैं; प्याज-लहसुन के विकल्प के रूप में हिंग और हींग का प्रयोग कुछ घरों में होता है।
  • आध्यात्मिकता: उपवास का मूल उद्देश्य नियंत्रण और भक्ति है; इसलिए संतुलित, संयमी और स्वास्थ्य-सम्मत विकल्प चुनें।

निष्कर्ष

नवरात्रि के उपवास का उद्देश्य केवल आहार का प्रतिबंध नहीं, बल्कि आत्म-संयम और श्रद्धा की अभिव्यक्ति है। परंपरागत तौर पर स्वीकार्य कई पौष्टिक विकल्प मौजूद हैं — साबूदाना, कुट्टू, सिंघाड़ा, राजगीरा, दूध व फल — जिनसे ऊर्जा, प्रोटीन और सूक्ष्मपोषक प्राप्त किए जा सकते हैं। फिर भी, स्थानीय रीति-रिवाज और व्यक्तिगत स्वास्थ्य के अनुसार नियम भिन्न हो सकते हैं; इसलिए अपने परिवार, पंडित या चिकित्सक से सलाह लेकर उपवास योजना बनाना बेहतर होगा।

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About G S Sachin

I am a passionate writer and researcher exploring the rich heritage of India’s festivals, temples, and spiritual traditions. Through my words, I strive to simplify complex rituals, uncover hidden meanings, and share timeless wisdom in a way that inspires curiosity and devotion. My writings blend storytelling with spirituality, helping readers connect with Hindu beliefs, yoga practices, and the cultural roots that continue to guide our lives today. When I’m not writing, I spend time visiting temples, reading scriptures, and engaging in conversations that deepen my understanding of India’s spiritual legacy. My goal is to make every article on Padmabuja.com a journey of discovery for the mind and soul.

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