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गणेशजी को विघ्नहर्ता कहे जाने के चौंकाने वाले कारण

क्यों गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है

मैं बचपन में दादी के साथ छोटे से मंदिर गया करती थी। ठंडी सुबह की ठंडी हवा, धूप के बांसुरी जैसे तारे और गणेशजी की माला की खुशबू—सब कुछ याद आता है। दादी ने मुझे बताया कि गणेशजी सिर्फ प्रिय देवता नहीं, बल्कि हर बाधा को हराने वाले हैं। उस कहानी ने मेरे मन में सवाल जगा दिया: क्यों गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है?

दादी ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, इसे समझने के लिए उनके रूप और कथाओं को जानना होगा।” उसी अंदाज़ में वह ले चल पड़ीं एक छोटी-सी कथा पर।

पहले, गणेशजी की उत्पत्ति और उनका विशेष स्थान महत्वपूर्ण है। माँ पार्वती ने उन्हें अपने श्रृंगार से बनाया। गणेश जो शील, बुद्धि और निष्ठा के प्रतीक हैं, उन्हें शिवजी ने अपने आशीर्वाद से और भी विशिष्ट बना दिया। उनके हाथ में जो किताब या लेखनी दिखाई देती है, वह ज्ञान और स्मृति का संकेत है। इसलिए जब कोई नया काम शुरू होता है या रास्ते में अड़चन आ जाती है, तो पहले गणेशजी का स्मरण होता है—क्योंकि वे बुद्धि से मार्ग प्रशस्त करते हैं।

प्रतीकों की गहरी व्याख्या

  • हाथी का सिर: महान बुद्धि और स्मरण शक्ति को दर्शाता है। कठिनाईयों को समझकर सही उपाय सुझाने की क्षमता।
  • बड़ी कान: श्रोतावृत्ति—ईश्वर पहले हमारी पुकार सुनते हैं; फिर समाधान देते हैं।
  • लम्बी सूंड (ट्रंक): लचीलेपन का प्रतीक—बड़ी से बड़ी बाधा भी सरल तरीके से सुलझ सकती है।
  • चूहे पर सवारी: अहंकार पर विजय—बाधाएँ अक्सर हमारे अंदरूनी Ego से आती हैं; चूहा उसे नियंत्रित करना सिखाता है।
  • एक दांत टूटा होना: त्याग और समर्पण; ज्ञान के लिए थोड़ी जि़ंदगी का बलिदान।

इन चिन्हों को समझने पर स्पष्ट होता है कि गणेशजी बाहरी या आंतरिक किसी भी विघ्न को दूर करने की शक्ति रखते हैं।

कहानी से प्रमाण

एक प्रचलित कथा में, जब वे महाभारत की रचना के समय व्यास की शरण में लेखन कर रहे थे, तब गणेशजी ने बिना रुके लिखने का वादा किया। उन्होंने लिखा और लिखा; इस तरह उन्होंने समय और बाधा दोनों को मात दी। दूसरी कथा में, गणेश और कार्तिकेय के बीच विश्व भ्रमण की प्रतिस्पर्धा—जहां गणेशजी ने माता-पिता का परिभ्रमण कर जीत हासिल की—जिससे उनकी सूझ-बूझ और प्रथमता सिद्ध होती है।

प्रत्येक नव-आरंभ, विवाह, व्यापार या यात्रा से पहले गणेशजी का स्मरण इसलिए होता है कि भौतिक राह में आने वाली बाधाएँ तो कम हों ही, साथ ही मन में उत्पन्न संशय, भय और आलस जैसे आंतरिक विघ्न भी नष्ट हों।

अध्यात्मिक अभ्यास और साधना

गणेश मंत्र जैसे “ॐ गणपतये नमः” या “ॐ गं गणपतये नमः” का जप करने से मन केंद्रित होता है और समस्या का समाधान सहज बनता है। छोटी-सी भक्ति, प्रणाम और मोदक का अर्पण—ये सब भाव का प्रतीक हैं जो बाधाओं को पिघलाते हैं।

दादी ने अंत में हाथ रखकर कहा, “विघ्नहर्ता का अर्थ केवल बाहरी रुकावट हटाना नहीं, बल्कि मन के अंधेरों को मिटाकर प्रकाश देना भी है।”

निष्कर्ष

गणेशजी को विघ्नहर्ता कहा जाता है क्योंकि उनका स्वरूप, कथाएँ और भक्ति हमें यह सिखाते हैं कि बुद्धि, धैर्य और समर्पण से हर बाधा पार की जा सकती है। धर्म-आचार में उनका प्रथम स्थान इस विश्वास का प्रतीक है।

प्रतिबिंब: जब भी जीवन में अड़चन दिखे, एक क्षण रोकर, मोदक चढ़ाकर या मंत्र जप कर उनसे प्रार्थना करें—शब्दों में ही नहीं, अपने हृदय में विश्वास लें; तब आप देखेंगे कि राहें स्वयं खुलने लगती हैं।

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About G S Sachin

I am a passionate writer and researcher exploring the rich heritage of India’s festivals, temples, and spiritual traditions. Through my words, I strive to simplify complex rituals, uncover hidden meanings, and share timeless wisdom in a way that inspires curiosity and devotion. My writings blend storytelling with spirituality, helping readers connect with Hindu beliefs, yoga practices, and the cultural roots that continue to guide our lives today.When I’m not writing, I spend time visiting temples, reading scriptures, and engaging in conversations that deepen my understanding of India’s spiritual legacy. My goal is to make every article on Padmabuja.com a journey of discovery for the mind and soul.

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